2 जुलाई 2011
नई दिल्ली। देश के प्रख्यात उपन्यासकारों में से एक अमित्व घोष कहते हैं कि पारसी समुदाय प्रतिभा का अद्भुत भंडार रहा है और इसी समुदाय ने देश को आधुनिक बनाया है। घोष ने अपने आइबिस त्रयी के दूसरे उपन्यास 'रिवर ऑफ स्मोक' में मुम्बई के एक पारसी व्यापारी बहरामजी नौरोजी मोदी की चीन तक की यात्रा का वर्णन किया है।
इस त्रयी की पहली किताब 'सी ऑफ पॉपीज' थी। यह किताब 19वीं सदी में कोलकाता से पारसी गिरमिटिया मजदूरों के पलायन और शुरुआत में भारत व चीन के बीच होने वाले अफीम के व्यापार की कहानी है। घोष के इस उपन्यास को साल 2008 में मैन बुकर पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था।
घोष ने दिल्ली में एक साक्षात्कार में कहा, "देश में पारसियों की संख्या काफी घट गई है और इसकी वजहें शायद सभी जानते हैं लेकिन पारसी समुदाय देश के सबसे शानदार समुदायों में से एक रहा है। आखिरकार हमारा सत्तारूढ़ परिवार पारसी है, कुछ बड़े औद्योगिक घराने, प्रमुख वकील, चिकित्सक और व्यवसायी भी पारसी हैं। यह समुदाय प्रतिभा का भंडार रहा है।"
उन्होंने कहा, "जैसा कि हम जानते हैं पारसियों ने निश्चित रूप से आधुनिक भारत का निर्माण किया है। भारत में क्रिकेट की शुरुआत कैसे हुई। पारसियों ने यह किया। यहां गायकी और नृत्य की शैली कैसे विकसित की, जो अब बॉलीवुड है। यह भी पारसियों ने किया।"
घोष ने कहा, "बहुत हद तक मुम्बई एक पारसी शहर है। यह पारसी दुनिया के दृष्टिकोण से बना व रचा-बसा है। मुम्बई में स्थित कई परोपकारी संस्थाएं इसे दर्शाती हैं।" उन्होंने कहा, "मुम्बई में जो है वह कोलकाता में नहीं है।"
साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त घोष को उनके काल्पनिक व वास्तविक उपन्यासों के लिए जाना जाता है। उन्होंने 'द हंग्री टाइड', 'द शैडो लाइन्स', 'द सर्किल ऑफ रीजन', 'द कलकत्ता क्रोमोसोम', 'द ग्लास पैलेस' जैसी किताबें लिखी हैं। उन्हें साल 2007 में पद्मश्री सम्मान मिल चुका है।
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